दिल्ली के यमुना बाढ़ क्षेत्र में अवैध कब्जों को हटाने के लिए नगर निगम और प्रशासन ने बुलडोजर की मदद से बड़ा अभियान शुरू किया है।
इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि किसी भी प्रकार के विरोध-प्रदर्शन को रोका जा सके। शास्त्री पार्क इलाके में अतिक्रमण विरोधी इस अभियान के तहत कई झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया, जिससे वहां रह रहे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए।प्रशासन का पक्ष: अतिक्रमण हटाना जरूरी
दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित विभागों के अनुसार, यमुना बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण लगातार बढ़ते जा रहे थे, जिससे न केवल बाढ़ का खतरा बढ़ रहा था बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा था। अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान अदालत के आदेशों के तहत चलाया जा रहा है और इसके जरिए जल निकायों को संरक्षित करने की कोशिश की जा रही है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था। "हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या हंगामा न हो," उन्होंने कहा।
स्थानीय लोगों की बेबसी और विरोध
हालांकि, इस अभियान ने सैकड़ों गरीब और वंचित परिवारों को बेघर कर दिया है। पिंकी कश्यप नामक महिला, जो पांच महीने की गर्भवती हैं और उनकी एक डेढ़ साल की बच्ची भी है, कहती हैं, "हम अब कहां जाएंगे? हमारे पास घर का किराया देने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं। मेरे पति की आय केवल 12,000 रुपये प्रति माह है। दिल्ली जैसे महंगे शहर में इतने कम पैसों में गुजारा करना बेहद मुश्किल है।"
एक अन्य निवासी ने बताया कि इलाके में करीब 200 परिवार बसे हुए थे और उन्हें दो मार्च को अपना घर छोड़ने का नोटिस मिला था। "हमें सोमवार तक घर खाली करने के लिए कहा गया। हम कहां जाएंगे, यह किसी को नहीं पता," उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा।
क्या सरकार के पास पुनर्वास की योजना है?
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि अतिक्रमण हटाना आवश्यक हो सकता है, लेकिन इसके साथ-साथ प्रशासन को पुनर्वास की भी व्यवस्था करनी चाहिए।
दिल्ली सरकार की पुनर्वास नीति के तहत झुग्गीवासियों को वैकल्पिक आवास देने की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। प्रभावित लोगों का आरोप है कि उन्हें कोई वैकल्पिक आवास नहीं दिया गया है और वे अब सड़क पर रहने को मजबूर हैं।
पर्यावरण संरक्षण बनाम मानवीय संकट
दिल्ली में यमुना बाढ़ क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध निर्माणों की वजह से जलभराव और बाढ़ की समस्या गंभीर होती जा रही है। लेकिन इस पूरे अभियान में गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
यह देखना बाकी है कि प्रशासन इन बेघर हुए लोगों के लिए कोई ठोस पुनर्वास योजना लेकर आता है या नहीं। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठते रहेंगे।