Savitribai Phule पुण्यतिथि: भारत की पहली महिला शिक्षिका को श्रद्धांजलि
भोपाल, 10 मार्च – भारत में महिला शिक्षा की अग्रदूत और समाज सुधारिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई फुले ने समाज में बदलाव की नींव रखी और महिलाओं के सशक्तिकरण की राह प्रशस्त की।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सावित्रीबाई फुले को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा,
"देश की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका श्रद्धेय सावित्रीबाई फुले जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन। बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। राष्ट्र सदैव उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ रहेगा।"
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर देश का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके प्रयासों से शिक्षा का उजाला उन तबकों तक पहुंचा, जिन्हें लंबे समय तक इससे वंचित रखा गया था।
सावित्रीबाई फुले: भारत में महिला शिक्षा की प्रणेता
सावित्रीबाई फुले को भारत में महिला शिक्षा की अग्रदूत के रूप में जाना जाता है। उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए 19वीं सदी में महिलाओं और दलितों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। उनके योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "देश की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारक, श्रद्धेय सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले जी की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। बालिका विद्यालय की स्थापना के साथ ही महिलाओं के अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।"
सामाजिक सुधार में सावित्रीबाई फुले का योगदान
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए। 1848 में उन्होंने पुणे में पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया, जो उस दौर में महिला शिक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम था। इसके अलावा, उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने और समाज में व्याप्त छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाने का भी कार्य किया।
मुख्यमंत्री की भावपूर्ण श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की श्रद्धांजलि को प्रदेशभर में सराहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी महिलाओं और समाज के पिछड़े वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपने संदेश में यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार महिला शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है।
सावित्रीबाई फुले का ऐतिहासिक महत्व
सावित्रीबाई फुले न केवल भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, बल्कि वे एक कवयित्री और समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं को शिक्षित होने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में "काव्य फुले" और "बावन कशी सुबोध रत्नाकर" प्रमुख हैं।
सावित्रीबाई फुले का योगदान भारतीय समाज में सदैव अमिट रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की श्रद्धांजलि ने एक बार फिर उनके कार्यों को प्रकाश में लाया है। सावित्रीबाई फुले द्वारा शुरू किया गया महिला सशक्तिकरण और शिक्षा का अभियान आज भी जारी है और लाखों महिलाओं को प्रेरित कर रहा है।