सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दावा: कितनी सच्चाई?
सोशल मीडिया पर इन दिनों श्री राम की तस्वीर वाले नोट की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिका और नीदरलैंड में यह मुद्रा प्रचलित है और इसे वहां की आधिकारिक मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह खबर लोगों के बीच जिज्ञासा का विषय बन गई है। लेकिन क्या वाकई यह सच है? आइए, इस राम मुद्रा की सच्चाई को विस्तार से समझते हैं।
क्या है ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP)?
ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (Global Country of World Peace - GCWP) एक आध्यात्मिक और शैक्षिक संगठन है, जिसे महर्षि महेश योगी ने वर्ष 2000 में स्थापित किया था। इस संगठन का मुख्यालय अमेरिका के लोवा (Iowa) में स्थित महर्षि वैदिक सिटी (Maharishi Vedic City) में है। महर्षि महेश योगी एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने ध्यान और वेदिक जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
हालांकि, सोशल मीडिया पर इसे एक हिंदू राष्ट्र बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत में यह सिर्फ एक आध्यात्मिक संगठन है, न कि कोई आधिकारिक राष्ट्र। इस संगठन का उद्देश्य शांति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना है।
राम मुद्रा की सच्चाई: क्या सच में चलती है यह करेंसी?
GCWP ने वर्ष 2002 में अपनी खुद की मुद्रा जारी की थी, जिसे ‘राम मुद्रा’ (Ram Mudra) नाम दिया गया। इस मुद्रा में भगवान राम की तस्वीर अंकित होती है, जिसे खास रूप से संगठन के भीतर उपयोग के लिए बनाया गया था।
राम मुद्रा के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- यह मुद्रा केवल महर्षि वैदिक सिटी और वहां के समुदाय में ही मान्य है।
- इसे विश्व बैंक या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
- राम मुद्रा को वहां के अनुयायी आपसी लेनदेन के लिए उपयोग करते हैं, लेकिन इसे किसी आधिकारिक करेंसी के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता।
- इस मुद्रा का मूल्य 10 अमेरिकी डॉलर प्रति राम निर्धारित किया गया था।
- तीन प्रकार के नोट जारी किए गए थे:
- एक राम मुद्रा = 10 अमेरिकी डॉलर
- दो राम मुद्रा = 20 अमेरिकी डॉलर
- तीन राम मुद्रा = 30 अमेरिकी डॉलर
- इस मुद्रा का उपयोग संगठन के अनुयायी संगठन के अंदरूनी लेनदेन के लिए करते हैं, लेकिन बाहर जाने पर वे इसे डॉलर में परिवर्तित कर लेते हैं।
क्या अमेरिका और नीदरलैंड में राम मुद्रा का आधिकारिक उपयोग होता है?
नहीं। सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे गलत हैं। अमेरिका या नीदरलैंड की किसी भी सरकार ने इस मुद्रा को मान्यता नहीं दी है।
ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस एक आध्यात्मिक संगठन है और इसके अनुयायी अपनी विशेष प्रणाली के तहत इस मुद्रा का उपयोग करते हैं। यह किसी देश की आधिकारिक मुद्रा नहीं है, न ही इसे किसी भी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का सच
सोशल मीडिया पर इस विषय में जो जानकारी फैलाई जा रही है, उसमें सच्चाई कम और भ्रामक तथ्य अधिक हैं। वीडियो और पोस्ट में दावा किया गया है कि इस मुद्रा को पूरे अमेरिका और नीदरलैंड में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि हकीकत में यह केवल महर्षि वैदिक सिटी में ही उपयोग होती है।
राम मुद्रा का ऐतिहासिक संदर्भ और महत्त्व
राम नाम की मुद्रा बनाने का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधारा को बढ़ावा देना था। महर्षि महेश योगी के अनुयायी ध्यान और वेदिक जीवनशैली को अपनाते हैं और इसी के आधार पर उन्होंने राम मुद्रा का उपयोग शुरू किया।
इस तरह की आध्यात्मिक मुद्राओं का उपयोग दुनियाभर में देखा जाता है, जहाँ विशेष समुदाय अपनी विशेष आर्थिक व्यवस्था के तहत इस तरह की मुद्राओं को इस्तेमाल करते हैं।
राम मुद्रा की हकीकत क्या है?
- यह मुद्रा केवल महर्षि वैदिक सिटी के भीतर उपयोग की जाती है।
- इसका कोई सरकारी मान्यता प्राप्त कानूनी मूल्य नहीं है।
- सोशल मीडिया पर किया गया दावा भ्रामक है।
- ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक संगठन है।
- इस मुद्रा का उपयोग केवल संगठन के भीतर आपसी लेनदेन के लिए किया जाता है।
ऑनलाइन फैलाई जा रही गलत सूचनाओं से बचें
सोशल मीडिया पर इस तरह की भ्रामक जानकारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम तथ्यों की जांच करें और प्रमाणिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें। अगर कोई खबर बहुत चौंकाने वाली लगे, तो उसे बिना पुष्टि किए साझा न करें।
राम मुद्रा से जुड़ी अन्य दिलचस्प बातें
- महर्षि वैदिक सिटी को वेदिक जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
- संगठन द्वारा वैदिक विज्ञान और ध्यान पर आधारित कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
- दुनिया भर में महर्षि महेश योगी के करोड़ों अनुयायी हैं, जो उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।
- राम मुद्रा का उपयोग एक वैकल्पिक लेनदेन प्रणाली के रूप में किया जाता है, लेकिन यह एक आधिकारिक मुद्रा नहीं है।
राम मुद्रा से जुड़ी जानकारी को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही खबरों में पूरी सच्चाई नहीं है। यह एक विशेष आध्यात्मिक समुदाय के लिए बनाई गई मुद्रा है, जिसे केवल उनके आंतरिक सर्कल में स्वीकार किया जाता है। इसे किसी भी देश की सरकार या वर्ल्ड बैंक से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसलिए, इस तरह की खबरों पर विश्वास करने से पहले सही तथ्यों की जांच करना आवश्यक है।