दिल्ली में भूजल प्रदूषण पर बड़ी चिंता
नई दिल्ली: एक हालिया अध्ययन में दिल्ली के भूजल (ग्राउंडवाटर) में माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) की मौजूदगी का खुलासा हुआ है।
यह अध्ययन दिल्ली सरकार द्वारा संचालित किया गया था और इसमें पाया गया कि राजधानी के लगभग सभी 11 जिलों में भूजल में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं।
इस अध्ययन को "एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI)" द्वारा फरवरी 2024 में शुरू किया गया था। नवंबर 2024 में इसका अंतरिम (interim) रिपोर्ट सरकार को सौंपा गया, लेकिन अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं और यह कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?
माइक्रोप्लास्टिक्स वे छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है। इन्हें दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है:
- प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स (Primary Microplastics): यह छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो कॉस्मेटिक्स, टूथपेस्ट, स्क्रब्स, और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में इस्तेमाल किए जाते हैं।
- द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक्स (Secondary Microplastics): यह बड़े प्लास्टिक उत्पादों (जैसे प्लास्टिक की बोतलें, बैग, फिशिंग नेट) के टूटने और विघटन के कारण उत्पन्न होते हैं।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
अध्ययन में यह भी पाया गया कि यमुना नदी के पानी और इसके किनारों की मिट्टी में भी माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा अधिक है। इसका मतलब यह है कि यमुना नदी से होने वाले रिसाव (leaching) के कारण भूजल में प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य पर क्या होगा असर?
माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में प्रवेश करने के बाद कई खतरनाक रसायनों को अवशोषित कर सकते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
संभावित स्वास्थ्य समस्याएं:
डीएनए परिवर्तन (Genetic Mutations): यह मानव जीन संरचना को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे भविष्य में आनुवंशिक बीमारियां हो सकती हैं।
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव: माइक्रोप्लास्टिक्स में मौजूद रसायन मस्तिष्क विकास और न्यूरोलॉजिकल कार्यों को बाधित कर सकते हैं।
श्वसन तंत्र (Respiratory Issues): माइक्रोप्लास्टिक्स हवा में मौजूद हो सकते हैं, जिससे फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।
पाचन तंत्र पर असर: दूषित पानी पीने से आंतों और लीवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर प्रभाव: अध्ययन के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स प्लेसेंटा (गर्भनाल) में भी पाए गए हैं, जिससे नवजात शिशु के विकास पर असर पड़ सकता है।
पर्यावरण पर प्रभाव
माइक्रोप्लास्टिक्स केवल मानव स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा हैं।
- खाद्य श्रृंखला में प्रवेश – समुद्री जीव-जंतु और अन्य जलीय जीव माइक्रोप्लास्टिक्स का सेवन करते हैं, जो अंततः मानव भोजन का हिस्सा बन जाता है।
- मृदा प्रदूषण – प्लास्टिक कण मिट्टी में प्रवेश कर खेती और कृषि उत्पादों को प्रभावित कर सकते हैं।
- पानी की गुणवत्ता में गिरावट – जल स्रोतों में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति से पीने योग्य पानी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।
दिल्ली सरकार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
पर्यावरण विशेषज्ञ सतीश सिन्हा, जो टॉक्सिक्स लिंक (Toxics Link) नामक पर्यावरण संगठन से जुड़े हैं, ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
"2017 में किए गए एक अध्ययन में दिल्ली के नल के पानी में भी माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए थे। अब यह भूजल में भी मिल रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। वर्तमान जल शुद्धिकरण प्रणाली माइक्रोप्लास्टिक्स को फिल्टर नहीं कर सकती, जिससे यह और खतरनाक हो जाता है।"
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार को अध्ययन के निष्कर्षों को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि अन्य शोधकर्ता और विशेषज्ञ इस मुद्दे पर समाधान निकाल सकें।
अब आगे क्या? दिल्ली सरकार की योजनाएं
दिल्ली सरकार ने अब इस रिपोर्ट के निष्कर्षों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है। सरकार के संभावित कदम:
- यमुना नदी की सफाई और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के उपाय।
- भूजल शुद्धिकरण प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नई तकनीकों को अपनाना।
- प्लास्टिक उत्पादों, विशेष रूप से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक्स पर सख्त प्रतिबंध।
- जनता को माइक्रोप्लास्टिक्स के खतरों के बारे में जागरूक करना और जल स्रोतों को सुरक्षित बनाने के लिए अभियान शुरू करना।
दिल्लीवासियों के लिए क्या हैं बचाव के उपाय?
चूंकि फिलहाल माइक्रोप्लास्टिक्स को फिल्टर करने की कोई प्रभावी प्रणाली नहीं है, इसलिए नागरिकों को खुद ही सतर्क रहने की जरूरत है।
✔ RO और नैनोफिल्ट्रेशन वाले वाटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
✔ प्लास्टिक की बोतलों और डिस्पोजेबल प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग कम करें।
✔ स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी जल गुणवत्ता रिपोर्ट पर नजर बनाए रखें।
✔ प्लास्टिक कचरे का सही ढंग से निपटान करें और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा दें।
निष्कर्ष
दिल्ली के भूजल में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी एक गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंता का विषय है। यह अध्ययन दर्शाता है कि दिल्ली के जल स्रोत तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं, और यदि तत्काल उपाय नहीं किए गए, तो यह समस्या और विकराल हो सकती है।
पर्यावरणविद् और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक्स को नियंत्रित करने के लिए कठोर नीतियों और तकनीकी समाधानों की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार को इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए और जल शुद्धिकरण में नए शोध को बढ़ावा देना चाहिए।
आगे की राह
- 2025 में अंतिम रिपोर्ट जारी होगी, जिसमें विस्तृत निष्कर्ष और संभावित समाधान शामिल होंगे।
- जनता और वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा, ताकि दिल्लीवासियों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल मिल सके।
यह एक विकसित होती स्थिति है। इस विषय पर नवीनतम अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।