दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है, और अब राजनीतिक दलों से लेकर आम जनता को 8 फरवरी 2025 का इंतजार है, जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति शासन (President's Rule) क्या होता है, यह किन परिस्थितियों में लागू किया जाता है और अब तक दिल्ली में कितनी बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है? इस लेख में हम आपको विस्तार से राष्ट्रपति शासन के नियम, इसकी अवधि और दिल्ली में इसके इतिहास के बारे में बताएंगे।
राष्ट्रपति शासन - फोटो : Freepik
क्या होता है राष्ट्रपति शासन?
जब किसी राज्य में सरकार संविधान के अनुसार काम नहीं कर पाती या बहुमत खो देती है, तो संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
इस स्थिति में राज्य का प्रशासन निर्वाचित मुख्यमंत्री और सरकार से हटकर सीधे राष्ट्रपति के नियंत्रण में चला जाता है। हालांकि, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए केंद्र सरकार की अनुशंसा आवश्यक होती है।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद क्या होता है?
- राज्य सरकार की सभी कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के अधीन आ जाती हैं।
- राज्यपाल को विशेष अधिकार दिए जाते हैं और कई मामलों में सलाहकारों की नियुक्ति भी की जाती है।
- विधानसभा को भंग या निलंबित किया जा सकता है।
किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है?
संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 356 में बताया गया है कि जब राज्य सरकार संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखने में विफल होती है, तो राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह केंद्र सरकार की सिफारिश पर वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।
राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रमुख कारण:
- बहुमत की कमी: जब किसी राज्य सरकार के पास आवश्यक बहुमत नहीं होता और वह सरकार नहीं बना पाती।
- संवैधानिक संकट: जब राज्य सरकार संविधान के तहत सही तरीके से काम नहीं करती।
- विधानसभा का निलंबन: जब राज्य विधानसभा अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दी जाती है।
- कानून-व्यवस्था का संकट: जब राज्य में अराजकता की स्थिति बन जाती है और सरकार इसे नियंत्रित करने में असमर्थ होती है।
राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि कितनी होती है?
राष्ट्रपति शासन अस्थायी रूप से लगाया जाता है और इसे दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलना आवश्यक होता है।
- यदि संसद इसे मंजूरी देती है, तो राष्ट्रपति शासन 6 महीने तक जारी रह सकता है।
- इसे अधिकतम 3 साल तक, हर 6 महीने में संसद की स्वीकृति के साथ बढ़ाया जा सकता है।
संविधान के अनुसार, यदि तीन साल से अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रखना हो, तो इसके लिए विशेष परिस्थितियाँ होनी चाहिए।
दिल्ली में अब तक कितनी बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है?
दिल्ली में अब तक एक ही बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। यह फरवरी 2014 से फरवरी 2015 तक करीब 1 साल (363 दिन) तक लागू रहा था।
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया था?
- 2013 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 28 सीटें जीती थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की जरूरत थी।
- कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी, लेकिन यह सरकार केवल 49 दिनों तक ही टिक सकी।
- जब AAP ने जन लोकपाल बिल पेश किया, तो कांग्रेस ने इसका समर्थन नहीं किया, जिससे सरकार संकट में आ गई।
- 49 दिनों के भीतर ही अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- इसके बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
- दिल्ली में फरवरी 2014 से 13 फरवरी 2015 तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
कैसे खत्म हुआ दिल्ली में राष्ट्रपति शासन?
फरवरी 2015 में विधानसभा चुनाव कराए गए, जिसमें आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड 67 सीटें जीतीं और पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई।
- 14 फरवरी 2015 को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया।
- AAP की इस ऐतिहासिक जीत को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है।
क्या दिल्ली में फिर से राष्ट्रपति शासन लग सकता है?
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना तभी होगी, जब:
- कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाती और गठबंधन सरकार भी न बन पाए।
- सरकार संविधान के अनुसार सुचारू रूप से काम नहीं करती।
- राजनीतिक अस्थिरता या संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता है।
हालांकि, दिल्ली में इस समय राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है, इसलिए निकट भविष्य में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना कम है।
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन का क्या महत्व है?
- राष्ट्रपति शासन एक अस्थायी समाधान है, जो तब लगाया जाता है जब राज्य में कोई स्थिर सरकार नहीं बन पाती या संवैधानिक संकट उत्पन्न होता है।
- दिल्ली में अब तक केवल एक बार (2014-2015) राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस्तीफा दे दिया था।
- वर्तमान में दिल्ली में राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है, लेकिन यदि किसी भी तरह की संवैधानिक या बहुमत की समस्या उत्पन्न होती है, तो भविष्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
इसलिए, राजनीतिक स्थिरता और संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखना आवश्यक है, ताकि किसी राज्य को राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता न पड़े।