कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों अपनी लिबरल पार्टी के भीतर पनपे असंतोष और गिरती लोकप्रियता का सामना कर रहे हैं। पिछले एक दशक से सत्ता पर काबिज ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रमुख समाचारपत्र “द ग्लोब एंड मेल” की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो जल्द ही लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे सकते हैं। माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ट्रूडो यह बड़ा कदम उठा सकते हैं।
पार्टी में असंतोष और गिरती लोकप्रियता
लिबरल पार्टी के कई नेताओं ने ट्रूडो के फैसलों पर नाराजगी जाहिर की है। विभिन्न सर्वेक्षणों से यह स्पष्ट हो चुका है कि जनता का समर्थन भी उनके खिलाफ होता जा रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वे में 73 प्रतिशत कनाडाई नागरिकों ने ट्रूडो से प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा देने की मांग की है। इसमें 43 प्रतिशत लिबरल मतदाता भी शामिल हैं।
विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी, जिसे पिएरे पोलिएवरे के नेतृत्व में मजबूत समर्थन मिल रहा है, आगामी चुनावों में सत्ता में आ सकती है। एनडीपी (नई डेमोक्रेटिक पार्टी), जो ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी थी, ने भी हाल ही में अपना समर्थन वापस ले लिया। इससे ट्रूडो की स्थिति और कमजोर हो गई है।
इस्तीफे की संभावनाएं
हालांकि यह अभी तय नहीं है कि जस्टिन ट्रूडो इस्तीफे के बाद तुरंत पद छोड़ देंगे या तब तक बने रहेंगे जब तक लिबरल पार्टी नया नेता नहीं चुन लेती। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी के भीतर भी ट्रूडो को नेता पद से हटाने पर विचार किया जा रहा है।
लोकप्रियता में गिरावट की वजहें
कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार की लोकप्रियता में गिरावट के पीछे कई कारण हैं:
1. अर्थव्यवस्था और महंगाई
कोरोना महामारी के बाद कनाडा में महंगाई दर 8 प्रतिशत तक बढ़ गई थी। हालांकि अब यह दो प्रतिशत के करीब है, लेकिन इस दौरान आर्थिक अस्थिरता ने जनता को नाराज कर दिया। बेरोजगारी की दर भी लगभग 6 प्रतिशत है, जो कई कनाडाई नागरिकों के लिए चिंता का विषय है।
2. महंगे घरों की समस्या
कनाडा में घरों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। बड़े शहरों में घर खरीदना आम लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। सरकार इस समस्या का समाधान करने में असफल रही है, जिससे जनता में गहरा असंतोष है।
3. अप्रवासी मुद्दा
कनाडा में अप्रवासन बड़ा मुद्दा बन गया है। ट्रूडो सरकार ने अप्रवासियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नई नीतियां बनाई हैं, लेकिन इनसे नाराजगी कम नहीं हुई। बढ़ती अप्रवासी संख्या ने स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर दबाव डाला है।
4. कार्बन टैक्स
पर्यावरणीय सुधार के उद्देश्य से शुरू किए गए कार्बन टैक्स प्रोग्राम को भी विपक्ष और जनता के एक बड़े वर्ग ने आलोचना का विषय बनाया है।
5. खालिस्तानियों का बढ़ता प्रभाव
कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में वृद्धि ने भी जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाया है। कई कनाडाई नागरिक इस मुद्दे पर ट्रूडो की सरकार के रुख से नाखुश हैं।
एनडीपी का समर्थन वापस लेना
जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली एनडीपी ने हाल ही में ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यह फैसला ट्रूडो सरकार के लिए बड़ा झटका था। इससे उनकी सरकार और कमजोर हो गई और पार्टी में उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे।
डिप्टी पीएम का इस्तीफा
हाल ही में कनाडा की डिप्टी प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया। इससे ट्रूडो पर इस्तीफा देने का दबाव और बढ़ गया है।
विपक्ष की स्थिति मजबूत
पिएरे पोलिएवरे के नेतृत्व में कंजर्वेटिव पार्टी मजबूत स्थिति में है। विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार, आगामी चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी के सत्ता में आने की संभावना अधिक है।
अगले कदम पर नजरें
अगर जस्टिन ट्रूडो इस्तीफा देते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उनके स्थान पर किसे नेता चुनती है। लिबरल पार्टी के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें न केवल विपक्ष से बल्कि अपने ही अंदर के असंतोष से निपटना है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट और पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष ने उन्हें इस्तीफा देने की स्थिति में ला खड़ा किया है। यदि वे इस्तीफा देते हैं, तो यह कनाडा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा। यह लिबरल पार्टी के लिए आत्मविश्लेषण और नए नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने का समय है। साथ ही, विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी इस राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर सत्ता में आने की पुरजोर कोशिश करेगी। ऐसे में कनाडा के राजनीतिक भविष्य पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।