ईशानी सिर्फ एक फिल्म निर्माता नहीं हैं, बल्कि वह एक परिवर्तनकारी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जिन्होंने अपने कैमरे और फिल्म कला को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है, ताकि समाज के उपेक्षित और दबे-कुचले वर्ग की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाया जा सके। उनकी कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने जुनून के जरिए समाज में बदलाव लाना चाहती हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: संघर्ष से संकल्प तक का सफर
Ishani Dutta का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही समाज में असमानता और अन्याय को देखा, और महशूस किया जिसने उनके भीतर एक संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित किया। उन्हें बचपन से ही कहानियां सुनने और सुनाने का शौक था, और यही रुचि आगे चलकर उनके फिल्म निर्माण के करियर की नींव बनी।
उन्होंने मीडिया और पत्रकारिता में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की और अपने करियर की शुरुआत 1990 के दशक में ZEE TV, ZEE NEWS के साथ की, जो भारत का पहला सैटेलाइट चैनल था। समाचार और समसामयिक कार्यक्रमों में काम करने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि मुख्यधारा की पत्रकारिता में कई ऐसे मुद्दे हैं जो या तो अनदेखे रह जाते हैं या उन्हें सही रूप में दिखाया नहीं जाता है।
यहीं से उनके मन में एक नया विचार जन्मा— ऐसे मुद्दों को गहराई से दिखाने के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्म माध्यम को उन्होंने अपने जीवन में अपनाना।
फिल्म निर्माता के रूप में यात्रा: एक उद्देश्यपूर्ण कदम
समाचार उद्योग में दशक बिताने के बाद, Ishani ने अपना प्रोडक्शन हाउस Carrot Films के नाम से स्थापित किया, जहां उन्होंने फिल्मों और प्रकाशन कार्यों की शुरुआत की। उनका लक्ष्य सिर्फ कहानियां कहना नहीं था, बल्कि ऐसी कहानियां बनाना था जो समाज में बदलाव लाने की ताकत रखती हों।
ईशानी का मानना है कि परिवर्तन किसी एक व्यक्ति का कार्य नहीं होता; यह एक सामूहिक प्रयास होता है। उनकी फिल्में सामाजिक समस्याओं को उजागर करने और एक सार्थक संवाद स्थापित करने के लिए बनाई जाती हैं।
उनकी डॉक्यूमेंट्रीज़ जमीनी हकीकत को दर्शाती हैं और समाज के उन वर्गों की आवाज़ को उठाती हैं जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है।
उल्लेखनीय फिल्में और परियोजनाएं: सच्चाई को कैमरे में कैद करना
1. Womb on Rent (2013) - मातृत्व का व्यापार
यह डॉक्यूमेंट्री एक गरीब लेकिन साहसी महिला की कहानी है, जो अपनी आजीविका चलाने के लिए सरोगेसी (किराए की कोख) का सहारा लेती है। यह फिल्म सरोगेसी उद्योग की जटिलताओं और भावनात्मक पहलुओं को उजागर करती है।
2. ब्रेकिंग द साइलेंस (2014) - कार्यस्थलों पर महिलाओं का उत्पीड़न
इस फिल्म में भारत में कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मुद्दे को दिखाया गया है। फिल्म यह संदेश देती है कि महिलाएं कैसे अपनी आवाज़ उठा सकती हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती हैं।
3. Say Cheese (2009) - दिल्ली की सड़कों का एक फोटोग्राफर
16 वर्षीय शेरू की कहानी, जो फोटोग्राफी के जरिए अपने जीवन को बदलने की कोशिश करता है। यह फिल्म दर्शाती है कि किस तरह एक व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है, बशर्ते उसे सही अवसर मिले।
4. द सिटी ऑफ़ ड्राई प्रॉमिसेज़ - पानी की कमी पर एक कठोर सच्चाई
यह फिल्म भारत में भूजल स्तर की गिरावट और उसके गंभीर प्रभावों पर प्रकाश डालती है।
5. फेथ रिविज़िटेड - धर्म और पर्यावरण संरक्षण का संगम
इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कैसे पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।
कहानी कहने और फिल्म निर्माण का दृष्टिकोण
ईशानी के फिल्म निर्माण की शैली गहन शोध और सच्चाई पर आधारित है। उनकी डॉक्यूमेंट्रीज़ में समाज के उन पहलुओं को दर्शाया जाता है, जिन पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता।
उनका मानना है कि डॉक्यूमेंट्री फिल्में सिर्फ एक कहानी नहीं होतीं; वे एक सामाजिक आंदोलन का हिस्सा होती हैं। उनकी फिल्में जमीनी सच्चाइयों को संवेदनशीलता और प्रामाणिकता के साथ पेश करती हैं, जिससे दर्शक उन मुद्दों को गहराई से समझ पाते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में योगदान
फिल्म निर्माण के अलावा, ईशानी सामाजिक अभियानों से भी जुड़ी हुई हैं। उन्होंने महिला अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों को लेकर कई अभियानों का नेतृत्व किया है।
उनकी फिल्मों ने समाज में संवाद और जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारतीय फिल्म उद्योग और उससे परे प्रभाव
Ishani K. Dutta ने भारतीय फिल्म उद्योग में डॉक्यूमेंट्री सिनेमा को एक नई पहचान दी है। उनकी फिल्मों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, जिससे भारतीय सामाजिक मुद्दों को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है।
उनका काम अन्य फिल्म निर्माताओं के लिए एक मिसाल है, जो सिनेमा के जरिए सामाजिक बदलाव लाने का सपना देखते हैं।
ईशानी की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी रूचि, जुनून और मेहनत के जरिए समाज में बदलाव लाना चाहती हैं।
उन्होंने न केवल भारतीय सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई बल्कि सामाजिक मुद्दों को बड़े मंच तक पहुंचाने का साहस भी दिखाया।
उनकी यात्रा यह साबित करती है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प, जुनून और सच्चाई की ताकत है, तो आप किसी भी क्षेत्र में बदलाव ला सकते हैं।